Monday, 31 October 2016
Sunday, 23 October 2016
किसने भीगे हुए बालों से ये झटका पानी, झूम के आई घटा टूट के बरसा पानी कोई मतवाली घटा थी के जवानी की उमंग, जी बहा ले गया बरसात का पहला पानी टिकटिकी बांधे वो फिरते हैं मैं इस फिक्र मे हूँ, कहीं खाने लगे चक्कर न ये गहरा पानी बात करने मे वो उन आंखों से अमृत टपका, 'आरज़ू' देखते ही मुँह मे भर आया पानी
Lyricist by -आरज़ू लखनवी
Friday, 21 October 2016
Thursday, 20 October 2016
देर लगी आने में तुमको शुक्र है फिर भी आये तो
देर लगी आने में तुमको शुक्र है फिर भी आये तो
आस ने दिल का साथ न छोड़ा वैसे हम घबराए तो
शफ़क़, धनुक, महताब, घटाएँ, तारे, नग़मे, बिजली, फूल
उस दामन में क्या कुछ है, वो दामन हाथ में आए तो
झूठ है सब तारीख़ हमेशा अपने को दोहराती है
अच्छा मेरा ख्व़ाब-ए-जवानी थोड़ा सा दोहराए तो
सुनी सुनाई बात नहीं है अपने ऊपर बीती है
फूल निकलते है शोलों से चाहत आग लगाए तो
Lyricist by-अन्दलीब शादानी
Wednesday, 19 October 2016
हम को तो गर्दिश-ए-हालात पे रोना आया
हम को तो गर्दिश-ए-हालात पे रोना आया रोने वाले तुझे किस बात पे रोना आयारोने वाले तुझे किस बात पे रोना आया
कितने बेताब थे रिमझिम में पिएँगे लेकिन
आई बरसात तो बरसात पे रोना आया
कौन रोता है किसी और के गम की खातिर
सबको अपनी ही किसी बात पे रोना आया
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Humko toh gardish-e-haalat pe rona aaya
Rone wale tujhe kis baat pe rona aaya
Kitne betaab the rimjhim me piyenge lekin
Aayi barsaat toh barsaat pe rona aaya
Kaun rota hai kisi aur ke gam ki khaatir
Sabko apni hi kisi baat pe rona aaya
Tuesday, 18 October 2016
Monday, 17 October 2016
Sunday, 16 October 2016
Friday, 14 October 2016
देखा जो आइना तो मुझे सोचना पड़ा खुद से ना मिल सका तो मुझे सोचना पड़ा
देखा जो आइना तो मुझे सोचना पड़ा खुद से ना मिल सका तो मुझे सोचना पड़ा https://www.youtube.com/shared?ci=yj30RtQLJ9Y
देखा जो आइना तो मुझे सोचना पड़ा
खुद से ना मिल सका तो मुझे सोचना पड़ा
खुद से ना मिल सका तो मुझे सोचना पड़ा
उसका जो ख़त मिला तो मुझे सोचना पड़ा
अपना सा वो लगा तो मुझे सोचना पड़ा
अपना सा वो लगा तो मुझे सोचना पड़ा
मुझको था यह गुमान के मुझी में है इक अना
देखी तेरी अना तो मुझे सोचना पड़ा
देखी तेरी अना तो मुझे सोचना पड़ा
दुनिया समझ रही थी के नाराज़ मुझसे है
लेकिन वो जब मिला तो मुझे सोचना पड़ा
लेकिन वो जब मिला तो मुझे सोचना पड़ा
इक दिन मेरे वो मेरे ऐब गिनाने लगा ‘फराग’
जब खुद ही थक गया तो मुझे सोचना पड़ा
जब खुद ही थक गया तो मुझे सोचना पड़ा
मुझसे बिछड़ के खुश रहते हो मेरी तरह तुम भी झूठे हो
मुझसे बिछड़ के खुश रहते हो मेरी तरह तुम भी झूठे हो
मुझसे बिछड़ के खुश रहते हो
मेरी तरह तुम भी झूठे हो
मुझसे बिछड़ के ...
इक टहनी पे चाँद टिका था
मैं ये समझा तुम बैठे हो
मुझसे बिछड़ के ...
उजले उजले फूल खिले हैं
बिल्कुल जैसे तुम हँसते हो
मुझसे बिछड़ के ...
मुझको शाम बता देती है
तुम कैसे कपड़े पहने हो
मुझसे बिछड़ के ...
तुम तन्हा दुनिया से लड़ोगे
बच्चों सी बातें करते हो
मुझसे बिछड़ के...
Lyricist by-Dr. Bashir Badr
Wednesday, 12 October 2016
अब मैं राशन की क़तारों में अपने खेतों से बिछडने की सज़ा पाता हूँ
अब मैं राशन की क़तारों में अपने खेतों से बिछडने की सज़ा पाता हूँ
अब मैं राशन की कतारों में नज़र आता हूँ
अपने खेतों से बिछड़ने की सजा पाता हूँ
इतनी महंगाई की बाज़ार से कुछ लाता हूँ
अपने बच्चों में उसे बाँट के शर्माता हूँ
अपनी नींदों का लहूं पोंछने की कोशिश में
जागते-जागते थक जाता हूं, सो जाता हूं
कोई चादर समझ के खींच न ले इसको कहीं,
मैं कफ़न ओढ़ के फूटपाथ पे सो जाता हूँ
अब मैं राशन की कतारों में नज़र आता हूँ
अपने खेतों से बिछड़ने की सजा पाता हूँ
तेरे बारे में जब सोचा नहीं था, मैं तन्हा था मगर इतना नहीं था,
तेरे बारे में जब सोचा नहीं था – tere baare me jab socha nahin tha..
तेरे बारे में जब सोचा नहीं था,
मैं तन्हा था मगर इतना नहीं था,
मैं तन्हा था मगर इतना नहीं था,
तेरी तस्वीर से करता था बातें,
मेरे कमरे में आईना नहीं था,
मेरे कमरे में आईना नहीं था,
समन्दर ने मुझे प्यासा ही रखा,
मैं जब सहरा में था प्यासा नहीं था,
मैं जब सहरा में था प्यासा नहीं था,
मनाने रुठने के खेल में,
बिछड जायेगे हम ये सोचा नहीं था,
बिछड जायेगे हम ये सोचा नहीं था,
सुना है बन्द कर ली उसने आँखे,
कई रातों से वो सोया नहीं था
कई रातों से वो सोया नहीं था
Tuesday, 11 October 2016
तुमने दिल की बात कह दी आज ये अच्छा हुआ हम तुम्हें अपना समझते थे बड़ा धोखा हुआ
तुमने दिल की बात कह दी आज ये अच्छा हुआ
हम तुम्हें अपना समझते थे बड़ा धोखा हुआ
जब भी हम ने कुछ कहा उस का असर उलटा हुआ
आप शायद भूलते हैं बारहा ऐसा हुआ
आप शायद भूलते हैं बारहा ऐसा हुआ
आप की आंखों में ये आंसू कहां से आ गए
हम तो दीवाने हैं लेकिन आप को ये क्या हुआ
हम तो दीवाने हैं लेकिन आप को ये क्या हुआ
अब किसी से क्या कहें ‘इक़बाल’ अपनी दास्तां
बस ख़ुदा का शुक्र है जो भी हुआ अच्छा हुआ
बस ख़ुदा का शुक्र है जो भी हुआ अच्छा हुआ
इकबाल अजीम
जिन्हें मैं ढूँढता था आसमानों में ज़मीनों में वो निकले मेरे ज़ुल्मतख़ाना-ए-दिल के मकीनों में
जिन्हें मैं ढूँढता था आसमानों में ज़मीनों में
वो निकले मेरे ज़ुल्मतख़ाना-ए-दिल के मकीनों में
महीने वस्ल के घड़ियों की सूरत उड़ते जाते हैं
मगर घड़ियाँ जुदाई की गुज़रती हैं महीनों में
मुझे रोकेगा तू ऐ नाख़ुदा क्या ग़र्क़ होने से
कि जिन को डूबना है डूब जाते हैं सफ़ीनों में
मोहब्बत के लिये दिल ढूँढ कोई टूटने वाला
ये वो मय है जिसे रखते हैं नाज़ुक आबगीनों में
ख़मोश ऐ दिल भरी महफिल में चिल्लाना नहीं अच्छा
अदब पहला क़रीना है मुहब्बत के क़रीनों में
बुरा समझूँ उन्हें मुझ से तो ऐसा हो नहीं सकता
कि मैं ख़ुद भी तो हूँ 'इक़बाल' अपने नुक्ताचीनों में
Lyricist by- अल्लामा इक़बाल
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=1239984849366028&id=1071549949542853
वो निकले मेरे ज़ुल्मतख़ाना-ए-दिल के मकीनों में
महीने वस्ल के घड़ियों की सूरत उड़ते जाते हैं
मगर घड़ियाँ जुदाई की गुज़रती हैं महीनों में
मुझे रोकेगा तू ऐ नाख़ुदा क्या ग़र्क़ होने से
कि जिन को डूबना है डूब जाते हैं सफ़ीनों में
मोहब्बत के लिये दिल ढूँढ कोई टूटने वाला
ये वो मय है जिसे रखते हैं नाज़ुक आबगीनों में
ख़मोश ऐ दिल भरी महफिल में चिल्लाना नहीं अच्छा
अदब पहला क़रीना है मुहब्बत के क़रीनों में
बुरा समझूँ उन्हें मुझ से तो ऐसा हो नहीं सकता
कि मैं ख़ुद भी तो हूँ 'इक़बाल' अपने नुक्ताचीनों में
Lyricist by- अल्लामा इक़बाल
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=1239984849366028&id=1071549949542853
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