Saturday, 22 October 2016

रुख़ से परदा उठा दे ज़रा साक़िया बस अभी रंग-ए-महफ़िल बदल जायेगा है जो बेहोश वो होश में आयेगा गिरनेवाला है जो वो संभल जायेगा तुम तसल्ली ना दो सिर्फ़ बैठे रहो वक़्त कुछ मेरे मरने का टल जायेगा क्या ये कम है मसीहा के रहने ही से मौत का भी इरादा बदल जायेगा मेरा दामन तो जल ही चुका है मग़र आँच तुम पर भी आये गंवारा नहीं मेरे आँसू ना पोंछो ख़ुदा के लिये वरना दामन तुम्हारा भी जल जायेगा तीर की जाँ है दिल, दिल की जाँ तीर है तीर को ना यूँ खींचो कहा मान लो तीर खींचा तो दिल भी निकल आयेगा दिल जो निकला तो दम भी निकल जायेगा फूल कुछ इस तरह तोड़ ऐ बाग़बाँ शाख़ हिलने ना पाये ना आवाज़ हो वरना गुलशन पे रौनक ना फ़िर आयेगी हर कली का दिल जो दहल जायेगा मेरी फ़रियाद से वो तड़प जायेंगे मेरे दिल को मलाल इसका होगा मगर क्या ये कम है वो बेनक़ाब आयेंगे मरनेवाले का अरमाँ निकल जायेगा इसके हँसने में रोने का अन्दाज़ है ख़ाक उड़ाने में फ़रियाद का राज़ है इसको छेड़ो ना ‘अनवर’ ख़ुदा के लिये वरना बीमार का दम निकल जायेगा Lyricist by-अनवर मिर्ज़ापुरी

Thursday, 20 October 2016

देर लगी आने में तुमको शुक्र है फिर भी आये तो


देर लगी आने में तुमको शुक्र है फिर भी आये तो
आस ने दिल का साथ न छोड़ा वैसे हम घबराए तो

शफ़क़, धनुक, महताब, घटाएँ, तारे, नग़मे, बिजली, फूल
उस दामन में क्या कुछ है, वो दामन हाथ में आए तो

झूठ है सब तारीख़ हमेशा अपने को दोहराती है
अच्छा मेरा ख्व़ाब-ए-जवानी थोड़ा सा दोहराए तो

सुनी सुनाई बात नहीं है अपने ऊपर बीती है
फूल निकलते है शोलों से चाहत आग लगाए तो

Lyricist by-अन्दलीब शादानी

Wednesday, 19 October 2016

हम को तो गर्दिश-ए-हालात पे रोना आया

हम को तो गर्दिश-ए-हालात पे रोना आया
हम को तो गर्दिश-ए-हालात पे रोना आया रोने वाले तुझे किस बात पे रोना आयारोने वाले तुझे किस बात पे रोना आया

कितने बेताब थे रिमझिम में पिएँगे लेकिन
आई बरसात तो बरसात पे रोना आया

कौन रोता है किसी और के गम की खातिर
सबको अपनी ही किसी बात पे रोना आया



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Humko toh gardish-e-haalat pe rona aaya
Rone wale tujhe kis baat pe rona aaya

Kitne betaab the rimjhim me piyenge lekin
Aayi barsaat toh barsaat pe rona aaya

Kaun rota hai kisi aur ke gam ki khaatir
Sabko apni hi kisi baat pe rona aaya