Jagjit-Singh
Thursday, 3 November 2016
Monday, 31 October 2016
Sunday, 23 October 2016
किसने भीगे हुए बालों से ये झटका पानी, झूम के आई घटा टूट के बरसा पानी कोई मतवाली घटा थी के जवानी की उमंग, जी बहा ले गया बरसात का पहला पानी टिकटिकी बांधे वो फिरते हैं मैं इस फिक्र मे हूँ, कहीं खाने लगे चक्कर न ये गहरा पानी बात करने मे वो उन आंखों से अमृत टपका, 'आरज़ू' देखते ही मुँह मे भर आया पानी
Lyricist by -आरज़ू लखनवी
Friday, 21 October 2016
Thursday, 20 October 2016
देर लगी आने में तुमको शुक्र है फिर भी आये तो
देर लगी आने में तुमको शुक्र है फिर भी आये तो
आस ने दिल का साथ न छोड़ा वैसे हम घबराए तो
शफ़क़, धनुक, महताब, घटाएँ, तारे, नग़मे, बिजली, फूल
उस दामन में क्या कुछ है, वो दामन हाथ में आए तो
झूठ है सब तारीख़ हमेशा अपने को दोहराती है
अच्छा मेरा ख्व़ाब-ए-जवानी थोड़ा सा दोहराए तो
सुनी सुनाई बात नहीं है अपने ऊपर बीती है
फूल निकलते है शोलों से चाहत आग लगाए तो
Lyricist by-अन्दलीब शादानी
Wednesday, 19 October 2016
हम को तो गर्दिश-ए-हालात पे रोना आया
हम को तो गर्दिश-ए-हालात पे रोना आया रोने वाले तुझे किस बात पे रोना आयारोने वाले तुझे किस बात पे रोना आया
कितने बेताब थे रिमझिम में पिएँगे लेकिन
आई बरसात तो बरसात पे रोना आया
कौन रोता है किसी और के गम की खातिर
सबको अपनी ही किसी बात पे रोना आया
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Humko toh gardish-e-haalat pe rona aaya
Rone wale tujhe kis baat pe rona aaya
Kitne betaab the rimjhim me piyenge lekin
Aayi barsaat toh barsaat pe rona aaya
Kaun rota hai kisi aur ke gam ki khaatir
Sabko apni hi kisi baat pe rona aaya
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